Friday, November 12, 2010

Antardwand - Dialogue within


फिल्म मेकर हूँ, फिल्मों का निर्माता
फिल्मों से जीवन दर्शाता
कॉलेज में प्यार करे, उन जोड़ो को मिलवाता
कभी माँ मरी हो किसी की, उस बेटे को इंसाफ़ दिलाता
हर इंसान के अंदर का, देखो मैं हीरो दिखाता,

तू सपनो में रहने वाले, जीवन सच से क्या हैं नाता
वो खा रहे पैसे सारे, भूका नंगा यहाँ बिलबिलता
हो रहे यहा क़त्ल-ए-आम, तू विदेश में गाने गाता
चुप बैठ कर देख रहा तू, तेरे बाप का क्या हैं जाता,

हैं दम फ़िल्मो से जगा जोश, शिव टांडव हो, दुर्गा हो चंडी,
वरना झूठ बोल रहा तू पाखंडी, इस रंगमंच का तू शिकंडी